
भारत अपनी वायु सेना को आधुनिक बनाने और रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने की दिशा में लगातार कदम बढ़ा रहा है। इस क्रम में, रूस के Su-57 और अमेरिका के F-35 लाइटनिंग II(Su-57 vs F-35) के बीच कौन सा लड़ाकू विमान भारत के लिए बेहतर होगा, यह बहस गर्म हो गई है। दोनों विमान अपने-अपने क्षेत्रों में अत्याधुनिक तकनीक का प्रतिनिधित्व करते हैं, लेकिन भारत के लिए उनकी उपयुक्तता कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे कि परिचालन आवश्यकताएं, रणनीतिक साझेदारी और लागत। आइए, दोनों विमानों की ताकत और कमजोरियों का विश्लेषण करके यह जानने की कोशिश करें कि भारत के लिए कौन सा विमान सबसे उपयुक्त हो सकता है।
Table of Contents
प्रतिद्वंद्वी: Su-57 vs F-35
1. सुखोई Su-57: रूस का स्टील्थ शिकारी
Su-57 रूस का पहला पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान है, जिसे F-22 रैप्टर और F-35 जैसे विमानों से प्रतिस्पर्धा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह उन्नत स्टील्थ क्षमताओं, सुपरमैन्यूवरेबिलिटी और भारी हथियार क्षमता के साथ एक शक्तिशाली एयर सुपीरियरिटी फाइटर है।

मुख्य विशेषताएं:
- स्टील्थ तकनीक: F-35 की तुलना में कम स्टील्थ होने के बावजूद, Su-57 रडार अवशोषित सामग्री और एरोडायनामिक डिज़ाइन का उपयोग करता है ताकि इसका रडार क्रॉस-सेक्शन कम हो सके।
- सुपरमैन्यूवरेबिलिटी: Su-57 के थ्रस्ट-वेक्टरिंग इंजन इसे अत्यधिक मैन्यूवर करने की क्षमता प्रदान करते हैं, जो इसे डॉगफाइट्स में बढ़त दिलाता है।
- भारी हथियार क्षमता: यह लंबी दूरी की मिसाइलों सहित विभिन्न प्रकार के हथियार ले जा सकता है, जो इसे हवा से हवा और हवा से जमीन दोनों मिशनों के लिए एक बहुमुखी प्लेटफॉर्म बनाता है।
- लागत-प्रभावी: F-35 की तुलना में Su-57 अपेक्षाकृत सस्ता है, जो भारत के बजट-सचेत रक्षा योजना के लिए आकर्षक हो सकता है।
चुनौतियां:
- सीमित परिचालन इतिहास: Su-57 अभी भी अपने तैनाती के शुरुआती चरण में है और F-35 की तुलना में इसका कम युद्ध अनुभव है।
- निर्यात प्रतिबंध: रूस अपनी सबसे उन्नत तकनीक के निर्यात के प्रति सतर्क रहा है, जो भारत की महत्वपूर्ण प्रणालियों तक पहुंच को सीमित कर सकता है।
2. F-35 लाइटनिंग II: अमेरिका का बहुउद्देशीय शक्तिशाली विमान
F-35, जिसे लॉकहीड मार्टिन द्वारा विकसित किया गया है, दुनिया के सबसे उन्नत बहुउद्देशीय लड़ाकू विमानों में से एक है। यह स्टील्थ, सेंसर फ्यूजन और नेटवर्क-केंद्रित युद्ध में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

मुख्य विशेषताएं:
- अद्वितीय स्टील्थ: F-35 की स्टील्थ क्षमताएं Su-57 से बेहतर हैं, जो इसे रडार डिटेक्शन से बचाने में अधिक प्रभावी बनाती हैं।
- सेंसर फ्यूजन: F-35 के उन्नत सेंसर और डेटा-शेयरिंग क्षमताएं इसे संयुक्त अभियानों में एक बड़ा बल गुणक बनाती हैं।
- वैश्विक अंतरसंचालनीयता: अमेरिका के एक प्रमुख सहयोगी के रूप में, भारत NATO और अन्य सहयोगी बलों के साथ F-35 के एकीकरण से लाभ उठा सकता है।
- सिद्ध ट्रैक रिकॉर्ड: F-35 पहले से ही अमेरिका, यूके, इज़राइल और जापान सहित कई देशों में परिचालन में है और इसका व्यापक युद्ध अनुभव है।
चुनौतियां:
- उच्च लागत: F-35 की अधिग्रहण और रखरखाव लागत Su-57 की तुलना में काफी अधिक है।
- राजनीतिक विचार: F-35 का अधिग्रहण भारत के रूस के साथ पारंपरिक रक्षा संबंधों को प्रभावित कर सकता है, जो लंबे समय से भारत को सैन्य उपकरणों का आपूर्तिकर्ता रहा है।

भारत के लिए कौन सा विमान बेहतर है?
परिचालन आवश्यकताएं
भारत की रक्षा आवश्यकताएं अद्वितीय हैं, क्योंकि यहाँ चीन और पाकिस्तान के साथ दो-मोर्चा युद्ध की संभावना और विविध भौगोलिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। भारतीय वायु सेना (IAF) को एक ऐसे लड़ाकू विमान की आवश्यकता है जो हवा से हवा और हवा से जमीन दोनों मिशनों में श्रेष्ठ हो और मौजूदा प्रणालियों के साथ सहजता से एकीकृत हो सके।
- Su-57: इसकी भारी हथियार क्षमता और सुपरमैन्यूवरेबिलिटी इसे हिमालय जैसे उच्च ऊंचाई वाले वातावरण में एयर सुपीरियरिटी मिशनों के लिए उपयुक्त बनाती है। हालांकि, चीन जैसे उन्नत प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ इसकी सीमित स्टील्थ क्षमता एक कमजोरी हो सकती है।
- F-35: इसकी स्टील्थ और सेंसर फ्यूजन क्षमताएं इसे भारी सुरक्षा वाले हवाई क्षेत्रों में प्रवेश करने और सटीक हमले करने के लिए आदर्श बनाती हैं। हालांकि, इसकी उच्च लागत और रखरखाव आवश्यकताएं भारत के रक्षा बजट पर दबाव डाल सकती हैं।
रणनीतिक साझेदारी
भारत के रक्षा खरीद निर्णय अक्सर उसकी रणनीतिक साझेदारियों से प्रभावित होते हैं। जहां रूस एक पारंपरिक सहयोगी रहा है, वहीं अमेरिका हाल के वर्षों में, विशेष रूप से क्वाड जैसे पहलों के माध्यम से, एक प्रमुख साझेदार के रूप में उभरा है।
- Su-57: Su-57 का चयन भारत के रूस के साथ संबंधों को मजबूत करेगा, लेकिन यह पश्चिमी तकनीक और सहयोग तक पहुंच को सीमित कर सकता है।
- F-35: F-35 का चयन भारत के अमेरिका और उसके सहयोगियों के साथ रणनीतिक संरेखण को गहरा करेगा, लेकिन यह रूस के साथ संबंधों को जटिल बना सकता है।
लागत और रखरखाव
भारत के लिए बजट की कमी एक महत्वपूर्ण कारक है, क्योंकि भारत का रक्षा बजट दुनिया में सबसे बड़ा है, लेकिन इसमें प्रतिस्पर्धी प्राथमिकताएं भी हैं।
- Su-57: अधिग्रहण और रखरखाव की दृष्टि से अधिक लागत-प्रभावी, जो इसे बड़े पैमाने पर तैनाती के लिए एक व्यावहारिक विकल्प बनाता है।
- F-35: हालांकि अधिक महंगा है, F-35 की उन्नत क्षमताएं लंबे समय में मूल्य प्रदान कर सकती हैं, विशेष रूप से नेटवर्क-केंद्रित युद्ध में।
निष्कर्ष: एक संतुलित दृष्टिकोण
Su-57 और F-35 के बीच चयन करने के बजाय, भारत एक संतुलित दृष्टिकोण अपना सकता है। Su-57 एयर सुपीरियरिटी और उच्च ऊंचाई वाले परिचालनों के लिए एक लागत-प्रभावी समाधान हो सकता है, जबकि F-35 भारत की सटीक हमले और स्टील्थ क्षमताओं को बढ़ा सकता है। इसके अलावा, भारत का स्वदेशी AMCA (एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट) कार्यक्रम इन अधिग्रहणों को पूरक बना सकता है, जिससे रक्षा प्रौद्योगिकी में दीर्घकालिक आत्मनिर्भरता सुनिश्चित हो सकेगा।
अंततः, यह निर्णय भारत की रणनीतिक प्राथमिकताओं, बजट सीमाओं और बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य पर निर्भर करेगा। चाहे वह Su-57 हो, F-35 हो, या दोनों का मिश्रण, भारत का चयन आने वाले दशकों तक यह वायु शक्ति को आकार देगा। आपको क्या लगता है भारत को क्या करना चाहिए ?…