
भारत गणतंत्र दिवस परेड 2025 में पहली बार प्रलय बैलिस्टिक मिसाइल(Pralay Ballistic Missile) सिस्टम का प्रदर्शन किया गया। यह उन्नत हथियार प्रणाली, जिसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किया गया है, देश की स्वदेशी तकनीकी क्षमता का प्रतीक है।
प्रलय एक छोटी दूरी की सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल है, जिसे विशेष रूप से पारंपरिक युद्ध के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह भारतीय सेना और वायु सेना के लिए एक महत्वपूर्ण सैन्य विकल्प प्रदान करती है और पारंपरिक स्ट्राइक क्षमताओं को मजबूत करती है।
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Pralay Ballistic Missile: भारत की रणनीतिक शक्ति
Pralay Ballistic Missile 400 किलोमीटर की दूरी तक विभिन्न लक्ष्यों को सटीकता के साथ मार सकती है। यह मिसाइल भारत के पहले से मौजूद ब्रह्मोस और प्रहार मिसाइलों को मजबूत करती है और भारतीय सेना को लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) और लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात करने का विकल्प देती है।
यह मिसाइल ठोस-प्रणोदक (सॉलिड प्रोपेलेंट) रॉकेट मोटर से लैस है और 500 से 1,000 किलोग्राम तक का पेलोड ले जाने में सक्षम है। इसके मार्गदर्शन और नेविगेशन सिस्टम अत्याधुनिक तकनीक पर आधारित हैं, जो इसे उच्च सटीकता और घातकता प्रदान करते हैं। इसके अतिरिक्त, इसका ट्विन लॉन्चर कॉन्फ़िगरेशन, जिसे अशोक लीलैंड हाई-मोबिलिटी वाहन पर स्थापित किया गया है, इसे तेजी से तैनात करने की क्षमता देता है।

Pralay Ballistic Missile: विकास और परीक्षण
प्रलय मिसाइल की परिकल्पना 2015 में की गई थी और इसका पहला सफल उड़ान परीक्षण दिसंबर 2021 में हुआ था। लगातार दो दिनों तक हुए इन परीक्षणों में मिसाइल ने अपनी क्वासी-बैलिस्टिक प्रक्षेपवक्र और लक्ष्यों को सटीकता से मारने की क्षमता का प्रदर्शन किया। सभी उप-प्रणालियों ने अपेक्षा के अनुसार प्रदर्शन किया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि यह प्रणाली विश्वसनीय और प्रभावी है।

रक्षा मंत्रालय ने इस मिसाइल के विकास कार्य को पूरा होने के बाद इसकी स्वीकृति दी है। इसके अलावा, 2023 में, रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने प्रलय और निर्भय नामक लंबी दूरी की सबसोनिक क्रूज मिसाइल की खरीद को मंजूरी दी। 1,000 किलोमीटर की रेंज वाली निर्भय मिसाइल का भी विकास चल रहा है और इसके सफल परीक्षण हाल ही में किए गए हैं।
गणतंत्र दिवस 2025: स्वदेशी शक्ति का प्रदर्शन
गणतंत्र दिवस परेड 2025 में प्रलय का प्रदर्शन भारत की आत्मनिर्भरता और तकनीकी प्रगति को प्रदर्शित करता है। इसके साथ-साथ, भारतीय सेना द्वारा विकसित और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) के सहयोग से बनाया गया संजय बैटलफील्ड सर्विलांस सिस्टम भी परेड का हिस्सा बना है।
संजय एक स्वचालित निगरानी प्रणाली है, जो जमीनी और हवाई सेंसरों से प्राप्त आंकड़ों को एकीकृत करती है और युद्धक्षेत्र की स्थिति का एक व्यापक चित्र प्रदान करती है। यह प्रणाली सेना की पारदर्शिता और निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

प्रलय: भारतीय सेना की नई ताकत
इस मिसाइल का विकास भारतीय सेना की लंबी दूरी की पारंपरिक स्ट्राइक क्षमताओं को बढ़ाने के लिए किया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि भविष्य में इसे त्रि-सेवा रॉकेट बल में शामिल करने की योजना है, जो सभी पारंपरिक मिसाइलों को एक संयुक्त कमांड के तहत लाएगी।
गणतंत्र दिवस परेड में प्रलय और संजय जैसे उन्नत रक्षा उपकरणों का प्रदर्शन भारत की बढ़ती सैन्य क्षमता और स्वदेशी तकनीकी प्रगति का प्रतीक है। यह न केवल देश की रक्षा शक्ति को प्रदर्शित करेगा बल्कि DRDO और भारतीय सेना की सामूहिक उपलब्धियों को भी उजागर करेगा।