जम्मू-कश्मीर में भारत की बड़ी जल परियोजनाएँ

जम्मू-कश्मीर भारत का एक ऐसा राज्य है जो न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहाँ की नदियाँ और जल संसाधन देश की ऊर्जा और कृषि आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हिमालय की गोद में बसे इस राज्य में चिनाब, झेलम, सिंधु और रावी जैसी प्रमुख नदियाँ बहती हैं, जिनका उपयोग बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं के लिए किया जा रहा है। भारत सरकार और जम्मू-कश्मीर प्रशासन इन संसाधनों का दोहन करके राज्य के आर्थिक विकास को गति देने के साथ-साथ राष्ट्रीय ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं।
इस लेख में हम जम्मू-कश्मीर में चल रही प्रमुख जल परियोजनाओं, उनके लाभ, चुनौतियों और भविष्य की संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
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जम्मू-कश्मीर में जल संसाधनों का महत्व
जम्मू-कश्मीर में अनेक नदियाँ और झीलें हैं, जो यहाँ के जल संसाधनों को समृद्ध बनाती हैं। यहाँ की प्रमुख नदियाँ हैं:
- सिंधु नदी – यह नदी तिब्बत से निकलकर लद्दाख और जम्मू-कश्मीर से होते हुए पाकिस्तान में प्रवेश करती है।
- झेलम नदी – यह नदी कश्मीर घाटी की मुख्य नदी है और वूलर झील में मिलती है।
- चिनाब नदी – हिमाचल प्रदेश से निकलकर जम्मू-कश्मीर में प्रवेश करती है और पाकिस्तान में सिंधु नदी से मिल जाती है।
- रावी नदी – यह नदी भी हिमाचल से निकलकर जम्मू-कश्मीर से होते हुए पाकिस्तान में प्रवेश करती है।
इन नदियों पर बड़ी जलविद्युत परियोजनाएँ बनाई गई हैं, जो न केवल बिजली उत्पादन करती हैं, बल्कि सिंचाई और पेयजल आपूर्ति में भी सहायक हैं।
जम्मू-कश्मीर की प्रमुख जल परियोजनाएँ
1. बगलिहार जलविद्युत परियोजना
- स्थान: चिनाब नदी, जम्मू-कश्मीर
- क्षमता: 900 मेगावाट
- स्थिति: चालू
बगलिहार जलविद्युत परियोजना जम्मू-कश्मीर की सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं में से एक है। इस परियोजना का निर्माण चिनाब नदी पर किया गया है और यह राज्य को बड़ी मात्रा में बिजली उपलब्ध कराती है। इस परियोजना से न केवल स्थानीय बिजली आपूर्ति सुनिश्चित होती है, बल्कि राष्ट्रीय ग्रिड को भी लाभ मिलता है।

2. दुलहस्ती जलविद्युत परियोजना
- स्थान: चिनाब नदी, किश्तवाड़ जिला
- क्षमता: 390 मेगावाट
- स्थिति: चालू
दुलहस्ती जलविद्युत परियोजना चिनाब नदी पर स्थित है और यह जम्मू-कश्मीर की एक प्रमुख बिजली उत्पादन इकाई है। इस परियोजना से क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़े हैं और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है।
3. सवाल्कोट जलविद्युत परियोजना
- स्थान: झेलम नदी, बारामूला
- क्षमता: 185 मेगावाट
- स्थिति: चालू
सवाल्कोट जलविद्युत परियोजना झेलम नदी पर स्थित है और यह कश्मीर घाटी को बिजली उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस परियोजना से न केवल बिजली उत्पादन होता है, बल्कि सिंचाई के लिए भी पानी उपलब्ध होता है।
4. पाकल डुल जलविद्युत परियोजना
- स्थान: चिनाब नदी, किश्तवाड़
- क्षमता: 1000 मेगावाट (प्रस्तावित)
- स्थिति: निर्माणाधीन
पाकल डुल जलविद्युत परियोजना जम्मू-कश्मीर की सबसे बड़ी प्रस्तावित परियोजनाओं में से एक है। इसकी क्षमता 1000 मेगावाट होगी और यह राज्य के ऊर्जा क्षेत्र में क्रांति ला सकती है।
5. किशनगंगा जलविद्युत परियोजना
- स्थान: किशनगंगा नदी, बांदीपोरा
- क्षमता: 330 मेगावाट
- स्थिति: चालू
किशनगंगा जलविद्युत परियोजना एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित परियोजना है, क्योंकि इस पर पाकिस्तान ने विरोध जताया था। हालाँकि, भारत ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के निर्णय के बाद इस परियोजना को सफलतापूर्वक पूरा किया।
जल परियोजनाओं का आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
जम्मू-कश्मीर में जलविद्युत परियोजनाओं के निम्नलिखित लाभ हैं:
- बिजली उत्पादन में वृद्धि: इन परियोजनाओं से राज्य और देश की बिजली आवश्यकताएँ पूरी होती हैं।
- रोजगार सृजन: निर्माण और संचालन के दौरान स्थानीय लोगों को रोजगार मिलता है।
- सिंचाई सुविधा: बाँधों से निकलने वाला पानी कृषि क्षेत्र के लिए उपयोगी होता है।
- पर्यटन को बढ़ावा: कुछ जलविद्युत परियोजनाएँ पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन गई हैं।
चुनौतियाँ और विवाद
हालाँकि जल परियोजनाएँ विकास के लिए आवश्यक हैं, लेकिन इनके कारण कुछ चुनौतियाँ भी सामने आती हैं:
- पर्यावरणीय प्रभाव: बड़े बाँधों के निर्माण से पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित होता है।
- स्थानीय विस्थापन: कई बार परियोजनाओं के कारण स्थानीय लोगों को विस्थापित होना पड़ता है।
- अंतरराष्ट्रीय विवाद: किशनगंगा जैसी परियोजनाओं पर पड़ोसी देशों द्वारा आपत्ति जताई जाती है।
भविष्य की संभावनाएँ
जम्मू-कश्मीर में जल संसाधनों की भरपूर उपलब्धता को देखते हुए भविष्य में और भी बड़ी परियोजनाएँ शुरू की जा सकती हैं। सरकार का लक्ष्य है कि राज्य को “हरित ऊर्जा” के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया जाए। इसके लिए नई नीतियाँ बनाई जा रही हैं और निवेश को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
निष्कर्ष
जम्मू-कश्मीर में जल परियोजनाएँ राज्य के विकास की रीढ़ हैं। ये परियोजनाएँ न केवल बिजली उत्पादन करती हैं, बल्कि सिंचाई, रोजगार और आर्थिक विकास में भी योगदान देती हैं। हालाँकि, पर्यावरणीय और सामाजिक चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए इन परियोजनाओं को सतत विकास के सिद्धांतों के अनुसार चलाना आवश्यक है। भविष्य में, जम्मू-कश्मीर भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में एक प्रमुख भूमिका निभा सकता है।
इस प्रकार, जम्मू-कश्मीर की जल परियोजनाएँ न केवल राज्य के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए वरदान साबित हो रही हैं।