क्या Safran M88 इंजन, Tejas Mk1A के लिए GE F404 से बेहतर विकल्प बन सकता है?

Is Safran M88 the Right Engine for Tejas Mk1A

✍️ जब भरोसा देरी में बदल जाए

भारत का तेजस लड़ाकू विमान अब केवल एक प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की उड़ान का प्रतीक बन चुका है। Tejas Mk1A को भारतीय वायुसेना के लिए बड़े स्तर पर शामिल किया जाना है, और इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है इसका “हृदय” — यानि इसका इंजन।

फिलहाल Tejas Mk1A को अमेरिका के General Electric (GE) द्वारा निर्मित F404-IN20 इंजन से लैस किया जाना है। लेकिन एक बड़ी विडंबना यह है कि जिस इंजन पर तेजस की उड़ान निर्भर करती है, उसकी सप्लाई में पहले ही 3 साल की देरी हो चुकी है। और अब तक इसका भविष्य भी पूरी तरह स्पष्ट नहीं है।

यह स्थिति एक सवाल खड़ा करती है —
क्या भारत को अब अमेरिकी F404 इंजन की जगह फ्रांसीसी Safran के M88 इंजन (या उसका उन्नत संस्करण M88 T‑REX) की ओर बढ़ना चाहिए?

इस सवाल का जवाब, समय और परिस्थिति को देखकर “हाँ” की ओर झुकता नजर आता है। आइए जानते हैं क्यों।


🛠️ तकनीकी पक्ष: क्या M88 TEJAS Mk1A में फिट हो सकता है?

पहली नजर में यह सवाल उठ सकता है कि क्या Safran का M88 इंजन (जो Dassault Rafale में उपयोग हो रहा है), वास्तव में तेजस Mk1A जैसे हल्के और एक इंजन वाले विमान में फिट हो सकता है?

✔️ जवाब है — तकनीकी रूप से हाँ, और रणनीतिक रूप से बहुत समझदारी भरा कदम

M88 इंजन का वजन GE F404 से थोड़ा कम है (~950–980 किग्रा बनाम ~1036 किग्रा) और thrust भी बराबर या थोड़ा कम (~75–88 kN) है — खासकर अगर M88 T‑REX वर्जन पर विचार किया जाए।

Safran का दावा है कि T‑REX वर्जन में लगभग 88.2 kN का thrust मिलेगा, जो कि GE F404-IN20 से भी ज्यादा है। और खास बात यह है कि यह इंजन आने वाले Rafale F5 में उपयोग होने वाला है — यानि आने वाले दशकों तक active support और spare supply उपलब्ध रहेगी।


इन देरी का मतलब रणनीतिक असुरक्षा

तेजस Mk1A के 83 विमानों के लिए भारत ने GE F404-IN20 इंजन की डिलीवरी का ऑर्डर 2021 में दिया था। लेकिन अब तक डिलीवरी शुरू नहीं हुई है, और अमेरिका ने इसपर कोई साफ timeline भी नहीं दी है।

तीन साल बीत जाने के बाद भी अगर भारत को critical defense engine की सप्लाई नहीं मिल रही है, तो ये एक साफ संकेत है कि अमेरिका पर 100% निर्भरता जोखिम भरा हो सकता है — खासकर उस समय जब भारत को अपनी सीमाओं पर दोहरी चुनौतियाँ झेलनी पड़ रही हैं — चीन और पाकिस्तान की ओर से।

🔁 क्या विकल्प मौजूद हैं?

Safran M88 न केवल एक कार्यशील विकल्प है, बल्कि यह भारत के लिए रणनीतिक स्वतंत्रता और यूरोपीय साझेदारी की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है।


🔧 फिटिंग और इंटरफेस चुनौतियाँ – क्या ये बड़ी बाधा हैं?

सच तो यह है कि किसी भी दूसरे इंजन को मौजूदा विमान में लगाना आसान नहीं होता। हां, M88 को तेजस Mk1A में लगाने के लिए airframe redesign, engine bay tuning, और software integration जैसे बदलाव जरूरी होंगे।

लेकिन हमें ये भी समझना चाहिए कि GE F404 को इतने सालों में integrate करने में HAL को कितनी मेहनत करनी पड़ी थी — और अब भी उसके after-sales support में समस्याएं बनी हुई हैं।

🧠 अगर आज हम शुरुआत करें तो:

  • M88 को 18–24 महीनों में पूरी तरह तेजस Mk1A में fit किया जा सकता है (Safran का modular design इसमें मददगार है)।
  • HAL और Safran के बीच एक technical working group बनाया जा सकता है जो इस integration को fast-track कर सके।
  • यह कदम सिर्फ Mk1A तक सीमित नहीं रहेगा — यह AMCA, TEDBF और भविष्य के drones के लिए भी रास्ता खोल सकता है।

🤝 रणनीतिक दृष्टिकोण: यूरोप बनाम अमेरिका

भारत की अमेरिका से रक्षा साझेदारी जरूरी है, लेकिन यह भी समझना चाहिए कि अति-निर्भरता हर साझेदारी को एकतरफा बना देती है
आज अगर अमेरिका F404 इंजन देने में टालमटोल कर सकता है, तो क्या हम उसे भविष्य में GE F414 (Tejas Mk2) या AMCA जैसे critical platforms में भरोसे के लायक मान सकते हैं?

Safran जैसा विकल्प इसलिए जरूरी है:

  1. फ्रांस ने Rafale सौदे के दौरान किसी भी प्रतिबंध की बात नहीं की — no CAATSA, no pressure।
  2. Safran भारत के साथ engine co-development में रुचि भी दिखा रहा है।
  3. यूरोपीय यूनियन और भारत के बीच defense tech sharing को लेकर सकारात्मक माहौल है।

🌐 भारत का भविष्य: आत्मनिर्भरता बनाम आयात पर निर्भरता

M88 इंजन को लाना सिर्फ एक tactical कदम नहीं होगा — यह भारत की रणनीतिक स्वतन्त्रता की दिशा में बड़ा निवेश होगा।
आज अगर हम Safran के साथ मजबूत साझेदारी बनाते हैं, तो आने वाले दशक में हम न केवल तेजस, बल्कि AMCA जैसे विमानों के लिए “India-specific engines” बनाने की स्थिति में होंगे।

GE अभी तक भारत में engine production के लिए पूरी IP share नहीं कर रहा। वहीं Safran ने AMCA इंजन के लिए IP sharing, full tech transfer, और भारत में production की पेशकश की है।

तो अगर हम तेजस Mk1A में ही पहला कदम उठा लें, तो इसका ripple effect पूरे भारतीय एयरोस्पेस इंडस्ट्री में दिखेगा।


✈️ तेजस Mk1A का भविष्य – GE या Safran?

तेजस Mk1A को दुनिया के सबसे बेहतरीन हल्के लड़ाकू विमानों में गिना जाता है। लेकिन जब इसका इंजन ही तीन साल देरी से आए, तो सवाल उठना स्वाभाविक है।

Safran M88 और खासकर T‑REX संस्करण न केवल thrust के मामले में सक्षम हैं, बल्कि उनकी modular तकनीक भारत के HAL जैसी कंपनियों के लिए कहीं ज्यादा compatible है।

अब जरूरत है कि भारत सरकार और HAL इस दिशा में तेजी से निर्णय लें।


✍️ निष्कर्ष

अमेरिका का GE F404 इंजन भले ही Tejas Mk1A के लिए आज default विकल्प हो, लेकिन उसकी तीन साल की देरी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं

Safran का M88 या T‑REX इंजन एक वैकल्पिक नहीं, बल्कि रणनीतिक रूप से सशक्त विकल्प बनकर उभर सकता है — जो भारत को इंजन तकनीक में आत्मनिर्भरता की ओर ले जा सकता है।

आज अगर भारत ने साहसिक फैसला लिया, तो कल उसे किसी और पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।

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