
भारतीय सेना दुनिया की सबसे शक्तिशाली और अनुशासित सेनाओं में से एक है, लेकिन इसकी असली ताकत छुपी होती है उसकी स्पेशल फोर्सेज में। ये वो खास कमांडो हैं जिनके बारे में ज्यादातर लोगों को पता भी नहीं होता, लेकिन जब देश की सुरक्षा की बात आती है, तो यही वो “अदृश्य योद्धा” होते हैं जो खतरों का सामना करते हैं। आइए, आज हम जानते हैं भारतीय सेना की स्पेशल फोर्सेज और उनके गुप्त जीवन के बारे में।
1. कौन हैं ये स्पेशल फोर्सेज?
भारतीय सेना की स्पेशल फोर्सेज को कमांडो फोर्सेज भी कहा जाता है। ये विशेष रूप से प्रशिक्षित सैनिक होते हैं जो हाई-रिस्क मिशन को अंजाम देते हैं, जैसे:
- एंटी-टेरररिस्ट ऑपरेशन्स (जैसे 26/11 मुंबई हमले के बाद की कार्रवाई)
- हॉस्टेज रेस्क्यू (बंधकों को छुड़ाना)
- क्रॉस-बॉर्डर स्ट्राइक (जैसे सर्जिकल स्ट्राइक)
- सीक्रेट इंटेलिजेंस मिशन (गुप्त जानकारी जुटाना)

भारत की प्रमुख स्पेशल फोर्सेज हैं:
- पैरा स्पेशल फोर्स (एसएफ) – भारतीय सेना की इलीट फोर्स
- मार्कोस (मरीन कमांडोज) – नेवी की स्पेशल फोर्स
- गरुड़ कमांडो – भारतीय वायु सेना की स्पेशल यूनिट
- NSG (ब्लैक कैट कमांडो) – आतंकवाद विरोधी विशेष दल
2. कैसे बनते हैं ये कमांडो? – ट्रेनिंग का कठिन सफर
एक स्पेशल फोर्स कमांडो बनना कोई आसान काम नहीं है। इसके लिए सैनिकों को कठिनतम ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है, जिसमें से 80% लोग बीच में ही हार मान लेते हैं।

कुछ मुख्य ट्रेनिंग चरण:
✔ फिजिकल एंड मेंटल टेस्ट: 40 किमी दौड़, 100 पुश-अप्स, घंटों पानी में तैरना, भूखे रहकर मिशन पूरा करना।
✔ सर्वाइवल ट्रेनिंग: जंगल में बिना खाने-पीने के दिनों तक जीवित रहना।
✔ एडवांस्ड वेपन ट्रेनिंग: हर तरह के हथियार चलाने की विशेषज्ञता।
✔ साइकोलॉजिकल टेस्ट: दबाव में सही निर्णय लेने की क्षमता।
इस ट्रेनिंग के बाद ही सैनिक को “कमांडो विंग” में शामिल किया जाता है।

3. कमांडोज का गुप्त जीवन – क्या होता है उनकी दिनचर्या में?
स्पेशल फोर्सेज के जवानों का जीवन आम सैनिकों से बिल्कुल अलग होता है। उनकी पहचान गुप्त रखी जाती है और वे हमेशा अंडरकवर ऑपरेशन्स में लगे रहते हैं।
कुछ रोचक तथ्य:
🔹 कोड नेम्स का उपयोग: कमांडो अपने असली नाम का इस्तेमाल नहीं करते, उन्हें कोड नेम्स दिए जाते हैं।
🔹 सिविलियन ड्रेस में ऑपरेशन्स: कई बार वे आम लोगों की तरह दिखते हैं ताकि दुश्मन को शक न हो।
🔹 फैमिली से दूरी: उनके परिवार को भी नहीं पता होता कि वे कहाँ और क्या कर रहे हैं।
🔹 24×7 अलर्ट: किसी भी समय मिशन के लिए तैयार रहना होता है।
4. भारतीय कमांडोज के ऐतिहासिक ऑपरेशन्स
भारतीय स्पेशल फोर्सेज ने कई ऐसे मिशन अंजाम दिए हैं जिन्होंने इतिहास रच दिया:
● ऑपरेशन ब्लू स्टार (1984)
- गोल्डन टेंपल, अमृतसर से आतंकवादियों को खत्म करने का ऑपरेशन।
● ऑपरेशन ब्लैक टॉर्नेडो (2008)
- 26/11 मुंबई हमले के दौरान NSG कमांडोज ने ताज होटल और नरिमन हाउस को आतंकवादियों से मुक्त कराया।
● सर्जिकल स्ट्राइक (2016)
- यूआरई (उरी हमले के बाद) पाकिस्तान में घुसकर आतंकवादी कैंप्स को नष्ट किया।
● बालाकोट एयर स्ट्राइक (2019)
- पुलवामा हमले के बाद वायुसेना के गरुड़ कमांडोज ने बालाकोट में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया।
5. कमांडोज के जीवन की चुनौतियाँ
स्पेशल फोर्सेज का जीवन बेहद कठिन होता है:
- जान का खतरा हर पल
- परिवार से महीनों दूर रहना
- मिशन फेल होने पर देशवासियों का गुस्सा झेलना
- शहीद होने के बाद भी नाम गुप्त रखा जाना
फिर भी, ये जवान देश की रक्षा के लिए हर पल तैयार रहते हैं।
निष्कर्ष: सलाम है इन अदृश्य हीरोज को!
भारतीय स्पेशल फोर्सेज के कमांडोज सच्चे देशभक्त हैं, जो “नाम नहीं, काम बोलता है” के सिद्धांत पर चलते हैं। ये वो योद्धा हैं जिनके बारे में हम कभी अखबारों में नहीं पढ़ते, लेकिन यही वो लोग हैं जो हमें सुरक्षित नींद सोने देते हैं।
“शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशाँ होगा।”
इन वीरों को सलाम करते हुए हमें गर्व होता है कि हमारे देश में ऐसे जांबाज सैनिक हैं!
(यह आर्टिकल भारतीय सेना के समर्पण और बलिदान को समर्पित है। जय हिन्द!)
क्या आप जानते हैं?
- कमांडोज अपनी ट्रेनिंग के दौरान कितनी नींद लेते हैं?
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