भारत और सऊदी अरब के बीच रक्षा सहयोग को नई दिशा देते हुए पहली बार “भारत-सऊदी अरबा सेना-सेना स्टाफ वार्ता” (India-Saudi Arabia Army-to-Army Staff Talks) का आयोजन नई दिल्ली में किया गया। यह वार्ता दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस वार्ता में दोनों देशों के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने भाग लिया और रक्षा, सुरक्षा तथा सैन्य प्रशिक्षण जैसे विषयों पर चर्चा की।

इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच सैन्य संबंधों को सुदृढ़ करना, साझा सुरक्षा चुनौतियों का समाधान ढूंढना और भविष्य में संयुक्त सैन्य अभ्यासों की संभावनाओं को तलाशना था। यह वार्ता भारत की ‘मेक इन इंडिया’ पहल और सऊदी अरब के ‘विजन 2030’ को ध्यान में रखते हुए आयोजित की गई, जिससे द्विपक्षीय रक्षा उद्योग में सहयोग बढ़ाने पर भी चर्चा हुई।
भारत-सऊदी अरब रक्षा सहयोग: पृष्ठभूमि
भारत और सऊदी अरब के बीच रक्षा संबंध पिछले कुछ वर्षों में तेजी से विकसित हुए हैं। 2019 में सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों ने “समझौता ज्ञापन (MoU) रक्षा सहयोग” पर हस्ताक्षर किए थे। इसके बाद से ही दोनों देशों के बीच सैन्य अभ्यास, रक्षा प्रौद्योगिकी और आतंकवाद विरोधी सहयोग जैसे क्षेत्रों में साझेदारी बढ़ी है।
2023 में, भारत और सऊदी अरब ने “समुद्री सुरक्षा सहयोग” को मजबूत करने के लिए संयुक्त नौसेना अभ्यास किया, जिसमें दोनों देशों के जहाजों ने भाग लिया। इसके अलावा, सैन्य प्रशिक्षण और रक्षा उपकरणों की खरीद पर भी चर्चा होती रही है।
इस पहली सेना-सेना स्टाफ वार्ता का आयोजन इसी सहयोग को और गहरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

सेना-सेना स्टाफ वार्ता: मुख्य बिंदु
इस वार्ता में भारतीय सेना और सऊदी अरब की सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की। कुछ प्रमुख विषय निम्नलिखित थे:
1. सैन्य प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण
दोनों देशों ने सैन्य प्रशिक्षण के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई। भारत अपने उन्नत सैन्य प्रशिक्षण कार्यक्रमों में सऊदी अरब की सेना को शामिल करने पर सहमत हुआ। इसके तहत:
- संयुक्त युद्ध अभ्यास
- विशेष बलों का प्रशिक्षण
- आतंकवाद विरोधी रणनीतियाँ
- साइबर सुरक्षा प्रशिक्षण
2. रक्षा उद्योग और प्रौद्योगिकी सहयोग
भारत ने सऊदी अरब के साथ रक्षा उत्पादन और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया। ‘मेक इन इंडिया’ और ‘विजन 2030’ के तहत दोनों देशों ने निम्नलिखित क्षेत्रों में साझेदारी की संभावनाएं तलाशीं:
- हथियारों और गोला-बारूद का निर्माण
- ड्रोन और साइबर सुरक्षा प्रौद्योगिकी
- संयुक्त रक्षा अनुसंधान और विकास
3. सामरिक सुरक्षा चुनौतियाँ
भारत और सऊदी अरब दोनों ही क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। इस वार्ता में निम्नलिखित मुद्दों पर चर्चा हुई:
- मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया में स्थिरता
- आतंकवाद और अतिवाद से निपटने की रणनीति
- समुद्री सुरक्षा और हिंद महासागर क्षेत्र में सहयोग
4. भविष्य की संयुक्त सैन्य गतिविधियाँ
दोनों देशों ने भविष्य में संयुक्त सैन्य अभ्यास आयोजित करने पर सहमति व्यक्त की। इसमें शामिल हो सकते हैं:
- थल सेना संयुक्त अभ्यास
- विशेष बलों का साझा प्रशिक्षण
- आपदा प्रबंधन और मानवीय सहायता अभियान
भारत-सऊदी अरब रक्षा सहयोग का महत्व
1. रणनीतिक साझेदारी का विस्तार
सऊदी अरब मध्य पूर्व का एक प्रमुख देश है और भारत के लिए ऊर्जा सुरक्षा तथा आर्थिक सहयोग का एक महत्वपूर्ण साझेदार है। रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ने से दोनों देशों के बीच रणनीतिक संबंध मजबूत होंगे।
2. चीन के प्रभाव को संतुलित करना
चीन मध्य पूर्व और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। भारत और सऊदी अरब के बीच सैन्य सहयोग इस क्षेत्र में चीन के प्रभाव को संतुलित करने में मदद कर सकता है।
3. आतंकवाद के खिलाफ साझा मोर्चा
आतंकवाद और अतिवाद दोनों देशों के लिए एक बड़ी चुनौती है। इस वार्ता के माध्यम से दोनों सेनाएं आतंकवाद से निपटने के लिए सूचना साझा करने और संयुक्त रणनीति बनाने पर सहमत हुईं।
4. आर्थिक और तकनीकी लाभ
रक्षा उद्योग में सहयोग से भारतीय कंपनियों को सऊदी बाजार में प्रवेश मिलेगा, जबकि सऊदी अरब भारत की उन्नत रक्षा प्रौद्योगिकी से लाभान्वित होगा।
निष्कर्ष
भारत और सऊदी अरब के बीच पहली सेना-सेना स्टाफ वार्ता द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को नई ऊर्जा देगी। यह वार्ता न केवल सैन्य सहयोग को मजबूत करेगी, बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद निरोधक रणनीतियों और रक्षा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नए अवसर भी पैदा करेगी।
भविष्य में, दोनों देशों के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास, रक्षा उत्पादन और सुरक्षा सहयोग और भी गहरा होगा, जिससे एशिया और मध्य पूर्व में स्थिरता और शांति को बढ़ावा मिलेगा।
इस तरह की वार्ताएँ न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करती हैं, बल्कि वैश्विक सुरक्षा ढांचे में भी सकारात्मक योगदान देती हैं। भारत और सऊदी अरब के बीच यह सैन्य सहयोग आने वाले वर्षों में एक नए युग की शुरुआत कर सकता है।