
फ्रांस और भारत वर्तमान में स्वदेशी रूप से निर्मित पिनाका (Pinaka) मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम की खरीद के लिए उन्नत बातचीत में जुटे हुए हैं। यदि यह समझौता अंतिम रूप लेता है, तो यह दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित होगा, क्योंकि यह पहली बार होगा जब फ्रांस, जो भारत का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता है, भारत से हथियार खरीदेगा। यह विकास दोनों देशों के बीच बढ़ते विश्वास और रणनीतिक साझेदारी को दर्शाता है, साथ ही भारत के वैश्विक स्तर पर एक विश्वसनीय रक्षा निर्यातक के रूप में उभरने का संकेत देता है।
भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) में मिसाइल और स्ट्रैटेजिक सिस्टम के डायरेक्टर जनरल यू राजा बाबू ने पुष्टि की कि फ्रांस पिनाका सिस्टम के लिए सक्रिय रूप से बातचीत कर रहा है। हालांकि, अभी तक कोई औपचारिक समझौता नहीं हुआ है, लेकिन चल रही बातचीत फ्रांस की गहरी रुचि को दर्शाती है। पिनाका सिस्टम, जो भारत की तोपखाने क्षमताओं का एक मुख्य आधार रहा है, ने अपने प्रदर्शन और विश्वसनीयता के कारण अंतरराष्ट्रीय खरीदारों का ध्यान आकर्षित किया है, जिससे यह एक व्यवहार्य विकल्प बन गया है।
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पिनाका(Pinaka): एक सिद्ध स्वदेशी रक्षा प्रणाली
Pinaka मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम भारत के स्वदेशी रक्षा उत्पादन में बढ़ती क्षमता का प्रतीक है। DRDO द्वारा विकसित यह सिस्टम 90 किलोमीटर (लगभग 56 मील) तक की मारक क्षमता रखता है और भारतीय सेना के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन रहा है। इसकी प्रभावशीलता का प्रदर्शन 1999 के भारत-पाकिस्तान युद्ध (कारगिल युद्ध) के दौरान हुआ था, जहां इसने जमीनी सैनिकों को आग समर्थन प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। तब से, इस सिस्टम में कई उन्नयन किए गए हैं, और इसकी मारक क्षमता और सटीकता को बढ़ाने के प्रयास जारी हैं।
लगभग तीन महीने पहले, भारत में एक फ्रांसीसी प्रतिनिधिमंडल के सामने पिनाका सिस्टम का प्रदर्शन किया गया था। फ्रांसीसी अधिकारियों ने इस सिस्टम को संतोषजनक पाया, जिसने चल रही बातचीत को गति प्रदान की है। पिनाका की कम समय में भारी मात्रा में फायरपावर देने की क्षमता, इसकी गतिशीलता और तैनाती में आसानी इसे आधुनिक युद्ध के परिदृश्य के लिए एक प्रभावी हथियार प्रणाली बनाती है।
भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता और निर्यात को बढ़ावा
भारत, जो लंबे समय से दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक रहा है, ने विदेशी रक्षा उपकरणों पर अपनी निर्भरता कम करने और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई प्रयास किए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई “मेक इन इंडिया” पहल इस परिवर्तन का मुख्य चालक रही है। इस पहल का उद्देश्य विदेशी सहयोग और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को प्रोत्साहित करते हुए भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र, विशेष रूप से रक्षा क्षेत्र में, बनाना है।
हाल के वर्षों में, भारत ने अपने रक्षा निर्यात को बढ़ाने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। मालदीव और सेशेल्स जैसे देशों को तटीय रडार सिस्टम की आपूर्ति से लेकर दक्षिणपूर्व एशिया के देशों को उन्नत लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर निर्यात करने तक, भारत वैश्विक हथियार बाजार में अपनी पहचान बना रहा है। फ्रांस को पिनाका सिस्टम की संभावित बिक्री भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी, जो यह दर्शाएगी कि भारत विश्व स्तरीय रक्षा उपकरण बनाने में सक्षम है जो उन्नत सेनाओं की मांगों को पूरा कर सकता है।
डील के रणनीतिक निहितार्थ
फ्रांस द्वारा पिनाका सिस्टम की संभावित खरीदारी के दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण रणनीतिक निहितार्थ हैं। फ्रांस के लिए, यह अपने रक्षा खरीद स्रोतों को विविधता प्रदान करने और भारत के साथ अपने रक्षा संबंधों को मजबूत करने का एक अवसर है, जो इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एक प्रमुख साझेदार है। फ्रांस भारत के लिए एक विश्वसनीय रक्षा साझेदार रहा है, जिसने राफेल लड़ाकू विमान और स्कॉर्पीन-क्लास पनडुब्बियों जैसे उन्नत प्लेटफॉर्म की आपूर्ति की है। भारत में निर्मित रक्षा उपकरण खरीदकर, फ्रांस न केवल भारत की बढ़ती क्षमताओं को स्वीकार कर रहा है, बल्कि दोनों देशों के बीच के आपसी विश्वास को भी मजबूत कर रहा है।
भारत के लिए, यह डील एक बड़ी कूटनीतिक और आर्थिक उपलब्धि होगी। यह देश के वैश्विक रक्षा निर्यातक बनने के लक्ष्य को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा और उन्नत सैन्य प्रौद्योगिकी के विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में भारत की विश्वसनीयता को बढ़ाएगा। इसके अलावा, यह डील अन्य देशों के लिए भारत में निर्मित रक्षा प्रणालियों पर विचार करने का मार्ग प्रशस्त करेगी, जिससे भारत के वैश्विक हथियार बाजार में स्थिति और मजबूत होगी।
मोदी-मैक्रों वार्ता: द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती
चल रही बातचीत भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया फ्रांस यात्रा के साथ मेल खाती है, जहां उन्होंने फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ पेरिस में एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस शिखर सम्मेलन की सह-अध्यक्षता की। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय वार्ता भी की, जिसमें रक्षा सहयोग एक प्रमुख विषय रहा। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि पिनाका रॉकेट सिस्टम पर विशेष रूप से चर्चा हुई या नहीं, लेकिन रक्षा सहयोग का व्यापक संदर्भ उनकी बातचीत में शामिल रहा।
मोदी-मैक्रों की मुलाकात भारत और फ्रांस के बीच गहराते रणनीतिक साझेदारी को दर्शाती है, जो रक्षा, अंतरिक्ष, ऊर्जा और प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में फैली हुई है। दोनों देश एक स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक को बनाए रखने के प्रति प्रतिबद्ध हैं, और उनका रक्षा सहयोग इस साझा दृष्टि का एक महत्वपूर्ण घटक है। पिनाका डील इस साझेदारी को और मजबूत करेगी और भविष्य में संयुक्त पहलों का मार्ग प्रशस्त करेगी।
आगे की चुनौतियां और अवसर
हालांकि बातचीत सकारात्मक रूप से आगे बढ़ रही है, लेकिन कई चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं। इस तरह के बड़े सौदे को अंतिम रूप देने के लिए तकनीकी विवरण, मूल्य निर्धारण और लॉजिस्टिक व्यवस्था पर सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता होगी। इसके अलावा, दोनों पक्षों को रक्षा निर्यात नियमों की जटिलताओं को नेविगेट करना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रौद्योगिकी हस्तांतरण उनके संबंधित रणनीतिक हितों के अनुरूप हो।
हालांकि, अवसर चुनौतियों से कहीं अधिक हैं। भारत के लिए, यह डील 2025 तक $5 बिलियन के रक्षा निर्यात के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। फ्रांस के लिए, यह अपने रक्षा औद्योगिक आधार को मजबूत करने और अपनी परिचालन क्षमताओं को बढ़ाने का अवसर होगा। इसके अलावा, यह डील अन्य देशों के लिए भारत में निर्मित रक्षा प्रणालियों पर विचार करने का मार्ग प्रशस्त करेगी, जिससे भारत की वैश्विक हथियार बाजार में स्थिति और मजबूत होगी।
निष्कर्ष
फ्रांस और भारत के बीच पिनाका मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम के लिए चल रही उन्नत बातचीत दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग में एक ऐतिहासिक क्षण का प्रतिनिधित्व करती है। यदि यह सौदा अंतिम रूप लेता है, तो यह न केवल फ्रांस द्वारा भारत में निर्मित हथियारों की पहली खरीदारी होगी, बल्कि भारत के एक विश्वसनीय रक्षा निर्यातक के रूप में उभरने का प्रतीक भी होगा। जैसे-जैसे दोनों देश अपनी रणनीतिक साझेदारी को गहरा करते जा रहे हैं, पिनाका डील भविष्य में और अधिक महत्वाकांक्षी सहयोग के लिए एक उत्प्रेरक का काम कर सकती है, जिससे दोनों देशों को लाभ होगा और वैश्विक सुरक्षा और स्थिरता में योगदान मिलेगा। प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति मैक्रों के नेतृत्व में, भारत-फ्रांस संबंधों का भविष्य उज्ज्वल दिखाई दे रहा है, जिसमें रक्षा सहयोग इस गतिशील साझेदारी का केंद्र बिंदु है।