
भारतीय वायु सेना (IAF), जिसकी स्थापना 8 अक्टूबर 1932 को हुई थी, ने अपनी यात्रा कुछ विमानों के साथ शुरू की। भारतीय वायु सेना में शामिल किया गया पहला विमान वेस्टलैंड वैपिटी(Westland Wapiti) था, जो एक ब्रिटिश दो-सीटर बाइप्लेन था और जिसने भारत की वायु शक्ति को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस विमान ने न केवल IAF की युद्ध क्षमता की शुरुआत की बल्कि इसे दुनिया की सबसे मजबूत वायु सेनाओं में से एक बनने की नींव भी रखी।
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वेस्टलैंड वैपिटी (Westland Wapiti) का आगमन
वेस्टलैंड वैपिटी(Westland Wapiti) को मूल रूप से 1920 के दशक में रॉयल एयर फोर्स (RAF) के लिए टोही और हल्के बॉम्बर विमान के रूप में डिज़ाइन किया गया था। ब्रिटिश कंपनी वेस्टलैंड एयरक्राफ्ट द्वारा निर्मित, इसे इसके विश्वसनीयता, रखरखाव में आसानी और बहुमुखी प्रतिभा के कारण नवगठित IAF के लिए चुना गया था। यह विमान 1 अप्रैल 1933 को IAF में सेवा में आया, जब भारतीय पायलटों और ग्राउंड क्रू के पहले बैच ने नंबर 1 स्क्वाड्रन में ड्रिग रोड (अब पाकिस्तान में) से संचालन शुरू किया।

लगभग 220 किमी/घंटा की अधिकतम गति और लगभग 6,700 मीटर की सर्विस सीलिंग के साथ, वैपिटी उत्तर-पश्चिम सीमा प्रांत (अब पाकिस्तान और अफगानिस्तान) के दुर्गम इलाकों में संचालन के लिए उपयुक्त था। इस विमान का मुख्य रूप से टोही, हल्के बमबारी और जनजातीय विद्रोहों के खिलाफ पुलिसिंग अभियानों में उपयोग किया गया।
Westland Wapiti सैन्य अभियानों में भूमिका
वेस्टलैंड वैपिटी (Westland Wapiti) का द्वितीय विश्व युद्ध से पहले के वर्षों में IAF द्वारा व्यापक रूप से उपयोग किया गया था। भारतीय पायलटों ने इस विमान को उत्तर-पश्चिमी सीमांत क्षेत्र में विभिन्न दंगों और विद्रोहों के खिलाफ अभियानों में उड़ाया।

इन अभियानों के दौरान, IAF पायलटों ने अमूल्य युद्ध अनुभव प्राप्त किया और अपनी हवाई टोही और बमबारी क्षमताओं को निखारा। हालांकि वैपिटी अपने समय के कुछ आधुनिक विमानों की तुलना में पुराना था, यह कठोर परिस्थितियों में एक मजबूत और भरोसेमंद मशीन साबित हुआ।
आधुनिक विमानों की ओर संक्रमण
1930 के दशक के अंत तक, विमानन तकनीक तेजी से उन्नत हो रही थी, जिससे वैपिटी अप्रचलित हो गया। IAF ने इस विमान को हटाकर हॉक हार्ट और बाद में हॉक हरिकेन जैसे अधिक आधुनिक विमानों को अपनाना शुरू कर दिया। हालांकि यह बदलाव हुआ, फिर भी वैपिटी IAF के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है क्योंकि यह भारतीय सैन्य विमानन यात्रा की शुरुआत का प्रतीक था।

Westland Wapiti की विरासत और प्रभाव
भारतीय वायु सेना में वेस्टलैंड वैपिटी(Westland Wapiti) का समावेश भारत के सैन्य इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण था। इसने भारतीय पायलटों को उनके पहले हवाई युद्ध अनुभव प्रदान किए और एक पेशेवर वायु सेना के विकास की नींव रखी। वैपिटी के संचालन के प्रारंभिक वर्षों ने स्वदेशी रखरखाव और परिचालन क्षमताओं के विकास को भी बढ़ावा दिया, जो बाद में भारत की सैन्य विमानन में आत्मनिर्भरता की दिशा में योगदान करेगा।

यह विमान भारत की स्वतंत्रता की राह में भी प्रतीकात्मक भूमिका निभाता है। शुरुआती भारतीय पायलट, जिन्होंने वैपिटी उड़ाया, स्वतंत्रता के बाद के IAF को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि भारत क्षेत्र में एक मजबूत वायु शक्ति के रूप में उभरे।
आखिर में क्या कहा जाए तो!
वेस्टलैंड वैपिटी(Westland Wapiti) सिर्फ भारतीय वायु सेना का पहला विमान नहीं था—यह राष्ट्र की हवाई शक्ति की दिशा में पहला कदम था। हालांकि बाद के वर्षों में इसे अधिक उन्नत विमानों ने प्रतिस्थापित कर दिया, इसकी योगदान और ऐतिहासिक महत्व अडिग हैं। वैपिटी की विरासत आज के आधुनिक IAF में जीवित है, जो वैश्विक हवाई युद्ध में ताकत और दृढ़ संकल्प का प्रतीक बना हुआ है।
