रक्षा बजट(Defence Budget) 2025-26: सीमाओं की रक्षा से लेकर तकनीकी क्रांति तक

रक्षा बजट(Defence Budget) 2025-26: सीमाओं की रक्षा से लेकर तकनीकी क्रांति तक

इस वर्ष, भारत सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए Defence Budget के रूप में ₹6,81,210.27 करोड़ का बड़ा आवंटन किया है। यह पिछले साल के ₹6,21,540.85 करोड़ की तुलना में ₹59,669.42 करोड़ की वृद्धि है।

अगर पिछली बढ़ोतरी की बात करें तो 2024-25 के बजट में भी ₹28,003.21 करोड़ की वृद्धि हुई थी, जो 2023-24 के ₹5,93,537.64 करोड़ के बजट से अधिक थी। प्रतिशत के हिसाब से, इस साल का रक्षा बजट 9.6% की वृद्धि दर्शाता है।

defence budget 2025-26: सीमाओं की रक्षा से लेकर तकनीकी क्रांति तक

रक्षा बजट(Defence Budget)2025-26 का विवरण

  • पूंजीगत व्यय (Capital Outlay): ₹1,80,000 करोड़ (2024-25 में ₹1,72,000 करोड़)
  • राजस्व व्यय (सैलरी को छोड़कर) (Defence Services – Revenue): ₹3,11,732 करोड़ (पिछले साल ₹2,82,773 करोड़)
  • रक्षा पेंशन (Defence Pensions): ₹1,60,795 करोड़ (2024-25 में ₹1,41,205 करोड़)

Defence Budget के महत्वपूर्ण आवंटन और विकास

पूंजीगत व्यय में 4.65% की वृद्धि की गई है, जो नए सैन्य उपकरणों की खरीद, सिस्टम अपग्रेड और बुनियादी ढांचे के निर्माण में सहायता करेगा। साथ ही, संचालन व्यय (Operational Expenditure) यह सुनिश्चित करता है कि हमारी सेनाएं पूरी तरह तैयार और सशक्त बनी रहें।

  • रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) को अनुसंधान और नवाचार के लिए ₹14,923 करोड़ मिले हैं।
  • वायुयान और एयरो इंजन के लिए ₹48,614 करोड़ का आवंटन किया गया है, जो पिछले वर्ष के ₹46,591 करोड़ से अधिक है।
  • कॉरपोरेटाइज्ड ऑर्डनेंस फैक्ट्रियों से बने सात सार्वजनिक उपक्रमों को ₹1,494 करोड़ दिए गए हैं।
  • रक्षा पेंशन के लिए ₹1.60 लाख करोड़ का प्रावधान किया गया है, जो पिछले वर्ष के संशोधित अनुमान ₹1.57 लाख करोड़ से अधिक है।
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सीमा पर बुनियादी ढांचे का विकास

भारत-चीन सीमा पर मई 2020 के गतिरोध के बाद से सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के निर्माण को प्राथमिकता दी गई है। इसी के तहत, सीमा सड़क संगठन (BRO) को ₹7,134 करोड़ का आवंटन किया गया है, जो पिछले बजट के ₹6,500 करोड़ से अधिक है।

रक्षा क्षेत्र को मजबूती देने की दिशा में बड़ा कदम

इस बजट के साथ, सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि भारतीय रक्षा क्षेत्र आधुनिक, मजबूत और पूरी तरह से तैयार रहे। इससे न केवल हमारी सैन्य क्षमताओं में वृद्धि होगी, बल्कि रक्षा उत्पादन और अनुसंधान को भी मजबूती मिलेगी

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