अब चीन की खैर नहीं ऑस्ट्रेलिया करेगा भारत के फाइटर जेट में Air-to-air refueling ..

भारत ने हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के साथ अपने रक्षा संबंधों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया है, जब दोनों देशों ने एक Air-to-air refueling समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते से भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सैन्य सहयोग को न केवल मजबूती मिलेगी, बल्कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उनके रणनीतिक प्रभाव को भी बढ़ावा मिलेगा। यह महत्वपूर्ण समझौता 19 नवंबर, 2024 को नई दिल्ली में हुए ऑस्ट्रेलिया-भारत एयर स्टाफ़ वार्ता के दौरान किया गया। इसे आधिकारिक रूप से 21 नवंबर, 2024 को विएंतियान, लाओस में आयोजित आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक में भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और ऑस्ट्रेलियाई रक्षा मंत्री पट कोंरोय द्वारा घोषित किया गया।

समझौते के प्रमुख पहलू: Air-to-air refueling

इस समझौते के तहत, रॉयल ऑस्ट्रेलियाई एयर फोर्स (RAAF) भारतीय वायुसेना के विमानों को अपनी KC-30A मल्टी-रोल टैंकर ट्रांसपोर्ट विमान से मध्य हवा में रिफ्यूलिंग (ईंधन भरने) की सुविधा प्रदान करेगी। इससे भारतीय सैन्य विमानों की ऑपरेशनल रेंज में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी, और वे लंबी दूरी तक मिशनों को अंजाम देने में सक्षम होंगे। यह समझौता भारतीय वायुसेना के लिए बेहद फायदेमंद साबित होगा, क्योंकि यह उन्हें अधिक लचीलापन और ताकत देगा, खासकर उन मिशनों के दौरान जो क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर उच्च रणनीतिक महत्व रखते हैं।

सैन्य सहयोग को बढ़ावा

RAAF के उप प्रमुख एयर वाइस मार्शल हार्वी रेनॉल्ड्स ने इस समझौते को भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच रक्षा संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि इस समझौते के माध्यम से दोनों देशों की सेनाओं के बीच बेहतर सहयोग, समन्वय और आपसी विश्वास स्थापित होगा। इसके अलावा, यह समझौता दोनों देशों को एक-दूसरे के सैन्य उपकरणों, तकनीकी कौशल और संचालन प्रक्रियाओं के साथ बेहतर तालमेल बनाने का अवसर प्रदान करेगा, जिससे वे किसी भी आपात स्थिति या सैन्य संकट में अधिक प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया कर सकेंगे।

भारत और ऑस्ट्रेलिया की सुरक्षा साझेदारी

यह समझौता हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव के बीच दोनों देशों के रक्षा संबंधों को मजबूत करने की एक व्यापक रणनीति का हिस्सा है। दोनों देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं और इस क्षेत्र में बढ़ती चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के बीच आपसी सहयोग को प्राथमिकता दे रहे हैं। भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों ही इस क्षेत्र में साझा सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, जिनमें समुद्री मार्गों की सुरक्षा, आतंकवाद, और शत्रुतापूर्ण सैन्य गतिविधियाँ शामिल हैं। इन समस्याओं से निपटने के लिए भारत और ऑस्ट्रेलिया ने अपनी रक्षा रणनीतियों को आपस में जोड़ने और साझा करने का निर्णय लिया है।

पिछले समझौतों से संबल

इस समझौते से पहले, दोनों देशों के बीच म्यूचुअल लॉजिस्टिक सपोर्ट एग्रीमेंट (MLSA) 2020 में साइन किया गया था, जिससे दोनों सेनाओं के बीच सैन्य अभियानों और मानवीय राहत कार्यों में अधिक लचीलापन और सुविधा प्राप्त हुई थी। एयर-टू-एयर रिफ्यूलिंग समझौता इस लॉजिस्टिक सहयोग को और अधिक सशक्त बनाएगा, जिससे दोनों देशों की सेनाएं किसी भी सैन्य अभियान को सुगमता से अंजाम देने में सक्षम होंगी, चाहे वह आपदा प्रबंधन हो या किसी अन्य प्रकार का सैन्य ऑपरेशन।

साझा सैन्य प्रशिक्षण और सहयोग

यह समझौता भारतीय और ऑस्ट्रेलियाई सेनाओं के बीच सैन्य प्रशिक्षण कार्यक्रमों को भी बढ़ावा देगा, खासकर भारतीय P-8I नेपच्यून निगरानी विमानों के संचालन के संदर्भ में। इस प्रकार का संयुक्त प्रशिक्षण दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग को और मजबूत करेगा और उन्हें किसी भी संकट या सैन्य संचालन के दौरान एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करने की क्षमता प्रदान करेगा।

India Australia military exercise

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क्षेत्रीय सुरक्षा में एक अहम कदम

कुल मिलाकर, एयर-टू-एयर रिफ्यूलिंग समझौता न केवल दोनों देशों की सैन्य क्षमताओं को बढ़ावा देगा, बल्कि यह भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सुरक्षा सहयोग को और मजबूत करने का प्रतीक भी है। इस समझौते के माध्यम से दोनों देश एक-दूसरे की सैन्य ताकतों का समर्थन करेंगे और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक स्थिर, शांतिपूर्ण और नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था बनाए रखने की दिशा में काम करेंगे। साथ ही, यह समझौता दोनों देशों के साझा सुरक्षा हितों को आगे बढ़ाने और क्षेत्रीय स्थिरता को बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच यह सहयोग न केवल द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ करेगा, बल्कि यह क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर उनके सामरिक प्रभाव को भी बढ़ाएगा।

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